गुरू घासी मोर बाबा तोला मैं सुमिरौं बारंबार

गुरू घासी मोर बाबा तोला मैं सुमिरौं बारंबार

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सुन ले गोहारी मोर

करूणा दया के मूरत जानेंव

गिरौदपुरी धाम तोर

महंगु अमरौतिन के नंदन

चरण धूली तोर महके चंदन

हे अनुपम छवि तोर

गुरू घासी जी मोर

तोला मैं सुमिरौं बारंबार

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौं बारंबार

तोर महिमा हे अपार

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौं बारंबार

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

पानी अमृत जिहा

पानी अमृत जिहा माटी हा चंदन हो

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

बालक पन म एक बार फूल बारी बारी गेईन

एक झन लईका ल सांप हा काटिन

घासी ल आ के बताईन

सतनाम ल जप के घासी

सतनाम ल जप के बुधारू के करे उद्धार हो

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौं बारंबार

बालपन म करे चमत्कार

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौं बारंबार

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

पानी अमृत जिहा

पानी अमृत जिहा माटी हा चंदन हो

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

सांप ढंसे ला ठीक करे हे कहिके

मनखे मन कउवाईन

भाटाबारी भेज के घासी ला

मिरचा ल मंगवाईन

भाटा के बारी म मिरचा टोरिन

भाटा के बारी म मिरचा टोरिस

अचरज सब संसार हो

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौ बारंबार

तोर महिमा हे अपार

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौ बारंबार

देश विदेश ले जब घासी दास घूम के आइस

अउसुनिस के ओकर नारी सपरा के स्वर्गवास हो गिस हे

तबघासी दास कहिथे

मोर नारी सपरा के लास ल खोज के लान देवौ गा

मैं ओला जिंदा करिहौ

तब सब आदमी मन हा हांसी उड़ा के कहिथे

छःमहिना के मरे नारी ल कईसे जियाबे गा

जियाए सकबे त कालिच एक झन बछिया मरे हे

ओला जिया के बता घा

सीदास करिस सुमिरन सतनाम के

जियाइस बछिया ल कमंडल ले थोरकन पानी डाल के

बोल गुरू घासीदास बाबा की जय

बछिया के दौड़ाई ल देख के

अचरज म सब पड़गे

धन हावै सतपुरूष ल कहिके

शरण म सब झन गिर गे

सब के आंखी ले निकले आंसू

सब के आंखी ले निकले आंसू

जईसे नंदिया धार हो

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौ बारंबार

तोर महिमा हे अपार

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौ बारंबार

जंगल के लकड़ी ल अब्बड़ जलावत हे घासीदास

सुन के सोना खान के राजा के आदेश होथे

घासीदास बाबा ल पकड़ के दंतेश्वरी माता के

मंदिर म बंद कर देथे ताकि

मईया ओला खा देहे ले किन

ओ तो सतपुरूष के अवतार ए ओला

कईसे खाही दंतेश्वरी मईया सतपुरूष ल

घासीदास म देखथे अउ घासीदास ल छोड़ देथे

मईया राजा के राजपाठ ल तहस नहस कर देथे

बेटा बिमार हो जाथे हाथी पागल हो जाथे

तब राजा ल होथे सपना मा ज्ञान अउ

वोहूं गुरू घासीदास के शरण म आथे

अउ कहिथे जय सतनाम

बोल गुरू घासीदास बाबा की जय

राजा ह चरण म गिर के संगी जैतखाम बनवाइस

परजा जन ल  सत्यनाम के धूनी म रमाइस

आखिर म सतपंथी जीतै

आखिर म सतपंथी जीतै

झूठ के होवै हार हो

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौ बारंबार

तोर महिमा हे अपार

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौ बारंबार

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

पानी अमृत जिहा

पानी अमृत जिहा माटी हा चंदन हो

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो

तोला मैं सुमिरौं बारंबार

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौं बारंबार

तोर महिमा हे अपार

गुरू घासी मोर बाबा

तोला मैं सुमिरौं बारंबार

✍ लेखक: शिवप्रसाद पाटले

🎤 प्रस्तुतकर्ता: -

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