एक पतरी रैनी बैनी राय रतन वो
दुर्गा देवी तोरे शीतल छांव
चौकी चंदन पिढूली गौरी के हाथे मान
जईसे गौरी वो मान तुम्हारे
कईसे करौं असनान
तोरवा आसन डोहड़ी
परव छछलगे डार
पान ला खाथे वो फूले पहिरथे
खेले सगरी के पार
तीन पतरी रैनी बैनी राय रतन वो
दुर्गा देवी तोरे शीतल छांव
चौकी चंदन पिढूली गौरी के हाथे मान
जईसे गौरी वो मान तुम्हारे
कईसे करौं असनान
तोरवा आसन डोहड़ी
परव छछलगे डार
पान ला खाथे वो फूले पहिरथे
खेले सगरी के पार
पांच पतरी रैनी बैनी राय रतन वो
दुर्गा देवी तोरे शीतल छांव
चौकी चंदन पिढूली गौरी के हाथे मान
जईसे गौरी वो मान तुम्हारे
कईसे करौं असनान
तोरवा आसन डोहड़ी
परव छछलगे डार
पान ला खाथे वो फूले पहिरथे
खेले सगरी के पार
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