चाहे रिसाए ये जग सगरो दाई तैं झन रिसाबे

चाहे रिसाए ये जग सगरो दाई तैं झन रिसाबे

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चाहे रिसाए ये जग सगरो दाई तैं झन रिसाबे वो

मोर जिनगी के डोंगा ला वो दाई पार लगाबे

चौरासी के बंधना दाई चौरासी हे धारा

ठाढ़े ठाढ़े गुनत हावौ कईसे उतरंव पारा

तैं जग के वो महतारी कब करबे मोर चिन्हारी

मोर फूटहा करम ला वो कोन बेरा सजाबे

ए महामाया मोर जिनगी के डोंगा ला वो दाई पार लगाबे

तोर किरपा ले ठगड़ी के छाती ले फूटै दूध के धारा

तोर डेहरी म महूं परे हंव नई हे कोनो सहारा

मोर जिनगी म हे अंधियारी आही कब वो उजियारी

हिरदय म भगती के वो अब जोत जालाबे

ए महामाया मोर जिनगी के डोंगा ला वो दाई पार लगाबे

चाहे रिसाए ये जग सगरो दाई तैं झन रिसाबे वो

मोर जिनगी के डोंगा ला वो दाई पार लगाबे

✍ लेखक: -

🎤 प्रस्तुतकर्ता: SUNDRANI

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